बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर उठे सवाल: फिल्म निर्माता बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं कमाई, दर्शकों को गुमराह करने के आरोप। ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा ने ‘स्काई फोर्स’, ‘छावा’ और ‘गेम चेंजर’ पर ब्लॉक बुकिंग और कॉरपोरेट बुकिंग के आरोप लगाए, दावा किया कि ये फिल्में अपनी असल कमाई को छुपाकर दिखा रही हैं।
यह दिलचस्प है कि विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना की फिल्म ‘छावा’ के निर्माता वही ‘मैडॉक फिल्म्स’ हैं, जो ‘स्काई फोर्स’ के भी प्रोड्यूसर हैं। इस बीच, इन आरोपों के कारण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई है। चाहे वह बॉलीवुड की फिल्में हों या साउथ सिनेमा की, अब सवाल उठ रहे हैं। लेकिन असल में यह क्या मामला है, आइए इसे समझते हैं।
1970 और 80 के दशक में भी फिल्म इंडस्ट्री में कमाई के आंकड़ों में हेराफेरी होती थी, जैसा कि ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से बातचीत में बताया। उन्होंने कहा, “उस समय ब्लॉक बुकिंग को ‘फीडिंग’ कहा जाता था। मैंने उस दौर के एक प्रमुख अभिनेता से बात की, जिन्होंने बताया कि कुछ सिनेमाघरों में टिकट खरीदी जाती थीं, ताकि यह धारणा बनाई जा सके कि फिल्म हाउसफुल है। तब फिल्मों की रिलीज एक साथ नहीं होती थी। उदाहरण के लिए, दिल्ली में फिल्म का प्रीमियर होता और एक हफ्ते बाद मुंबई में। हालांकि, लोग इन चर्चाओं से परिचित होते थे।”
हालांकि, इस हेराफेरी से सिनेमाघर मालिकों को कोई शिकायत नहीं होती, क्योंकि तकनीकी रूप से उनकी टिकटें बिक रही होती हैं। लेकिन यह टिकटें आम दर्शकों के बजाय किसी और द्वारा खरीदी जाती हैं। तरण आदर्श ने कहा, “आजकल यह प्रक्रिया बड़े स्तर पर हो रही है, जिससे थियेटर मालिक खुश हैं। चाहे फिल्म निर्माता खुद टिकट खरीद रहे हों, अभिनेता या स्टूडियो, लेकिन टिकट बिक तो रहे हैं।”
ब्लॉक बुकिंग या कॉरपोरेट बुकिंग को इस तरह समझ सकते हैं, जैसा कि ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन ने बताया, “मान लीजिए अगर कोई अभिनेता 20 ब्रांड्स का विज्ञापन कर रहा है, तो वह एक ब्रांड से अपनी नई फिल्म के लिए 10,000 टिकट खरीदने की बात करता है। इसके बदले वह विज्ञापन शुल्क में कुछ रियायत देता है या मुफ्त में विज्ञापन शूट करता है। इसका मतलब यह है कि 10,000 टिकट कानूनी रूप से बिक चुके हैं, भले ही जब शो शुरू हो तो सिनेमाघर अंदर से खाली हो जाए। इसे ही कॉरपोरेट बुकिंग कहा जाता है।”
अतुल मोहन आगे बताते हैं, “ब्लॉक बुकिंग में वही होता है, जहां निर्माता, अभिनेता या स्टूडियो अपनी जेब से कई टिकट खरीद लेते हैं। वे खुद ही अपनी फिल्म के लिए सीटों की बुकिंग कर लेते हैं। इस प्रक्रिया में, जब आप टिकट बुकिंग ऐप पर नजर डालते हैं, तो देखते हैं कि सिनेमाघर तेजी से भर रहे हैं, जिससे दर्शकों में फिल्म को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा होती है।”
राम चरण और कियारा आडवाणी की हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘गेम चेंजर’ के निर्माताओं पर भी इस रणनीति का आरोप लगाया गया। फिल्म के मेकर्स ने दावा किया कि इसने दुनियाभर में 186 करोड़ रुपये की कमाई की है। हालांकि, माना जाता है कि फिल्म की असली कमाई 80 करोड़ रुपये के आस-पास थी।
फिल्म निर्देशक कुणाल कोहली, जो ‘हम तुम’ जैसी हिट फिल्म के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में ब्लॉक बुकिंग को ‘बकवास’ करार दिया। यूट्यूबर अलीना गांधी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, “हम फिल्म बनाते हैं, उसे रिलीज करते हैं, और फिर दिखाने के लिए टिकट भी खरीदते हैं? आप यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आप अहंकार में हैं। आप किसी स्टार को लाड़-प्यार दिखाना चाहते हैं और उसे असलियत से दूर रखना चाहते हैं, या फिर आप डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को इज्जत देना चाहते हैं।”
वहीं, प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष शिबाशीष सरकार का मानना है कि यह आम दर्शकों के साथ धोखाधड़ी है। वह कहते हैं, “यह सब इंडस्ट्री की साख को कम कर रहा है। एकमात्र तर्क यही है कि आप ‘डिमांड’ के बारे में एक झूठी धारणा बना रहे हैं।”
शिबाशीष ने आगे बताया, “विकसित देशों में कलेक्शन पर नजर रखने के लिए रेन्ट्रैक जैसी व्यवस्थाएं होती हैं, लेकिन भारत में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। भले ही यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब यह ज्यादा हो रहा है। हम इस धोखाधड़ी को कैसे पकड़ सकते हैं? हम हर थिएटर में सीसीटीवी कैमरे तो नहीं लगा सकते।”