बुधवार, अप्रैल 23, 2025

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“एक हिट फिल्म के लिए 8 से 10 फ्लॉप दे रहा हिंदी सिनेमा, तरण आदर्श ने बताया सफलता का राज”

हिंदी फिल्मों का लगातार फ्लॉप होना अब चिंता का विषय बन चुका है। बैक-टू-बैक फ्लॉप हो रही फिल्मों की एक बड़ी वजह यह है कि वे दर्शकों से जुड़ नहीं पा रही हैं। सलमान खान की सिकंदर जैसी फिल्म ने भी इस कड़ी में एक नई मिसाल पेश की, जो दर्शकों को निराश करने में सफल रही। फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि पहले के मुकाबले अब सफल फिल्मों की संख्या काफी घट गई है। जहां पहले हिट फिल्में आम हुआ करती थीं, वहीं अब एक सफल फिल्म के लिए आठ से दस फिल्में असफल हो रही हैं, जो बॉलीवुड के लिए चिंता का विषय है। उनके अनुसार, सिनेमाघर खाली पड़े हैं क्योंकि फिल्में अब आम दर्शकों से जुड़ नहीं पा रही हैं, और इंडस्ट्री यह समझने में नाकाम रही है कि दर्शक सच में क्या चाहते हैं।


तरण आदर्श का यह भी मानना है कि बॉलीवुड अब केवल महानगरों पर केंद्रित हो गया है, जिसके कारण छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के दर्शकों को उपेक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा, कुछ फिल्मों के बारे में सोशल मीडिया और मार्केटिंग के जरिए झूठी हाइप बनाई जाती है, जिससे यह भ्रम फैलता है कि फिल्म रिकॉर्ड तोड़ ओपनिंग करेगी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता, और इससे दर्शकों का विश्वास टूटता है। पहले निर्माता और निर्देशक अभिनेताओं को अपनी कहानियां सुनाते थे, जिससे एक व्यक्तिगत जुड़ाव बनता था। लेकिन आजकल के अभिनेता अपने बनाए हुए बुलबुले में रहते हैं, जो वास्तविकता से काफी हद तक कटे हुए हैं। अब फैसले कहानी की गहराई के बजाय सोशल मीडिया के आंकड़ों पर आधारित हो रहे हैं।

तरण आदर्श ने सुझाव दिया कि अगर बॉलीवुड अपने सुनहरे दिनों को वापस लाना चाहता है, तो उसे प्रामाणिक कहानियों और दर्शकों से सच्चे जुड़ाव की ओर लौटना होगा। तकनीक और चमक-दमक के पीछे भागने के बजाय, फिल्मकारों को उन कहानियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो दिल को छूने वाली हों और समाज के हर वर्ग तक पहुंचने वाली हों। उनका कहना है कि इस समय हिंदी सिनेमा के हालात को देखते हुए, एक बार गिरेबान में झांकना और आत्ममंथन करना बेहद जरूरी है।

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