नरगिस, बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन एक्ट्रेस में से एक, ने अपने करियर में कई हिट फिल्में दीं। उनका विवाह सुनील दत्त से हुआ था, और उनके परिवार में संजय दत्त, प्रिया दत्त, और नम्रता दत्त का जन्म हुआ। नरगिस ने कैंसर से लंबी जंग लड़ी और 1981 में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके इलाज के लिए दत्त परिवार ने कोई कसर नहीं छोड़ी, और कई वर्षों तक उनका इलाज अमेरिका में भी चलता रहा, लेकिन अंततः वे इस बीमारी से नहीं जीत पाईं। कहा जाता है कि संजय दत्त की पहली फिल्म ‘रॉकी’ के रिलीज़ होने से सिर्फ तीन दिन पहले नरगिस का निधन हुआ।
नरगिस ने सुनील दत्त से शादी करने से पहले हिंदू धर्म अपना लिया था, फिर भी उनकी मौत के बाद सुनील दत्त ने उनके अंतिम संस्कार के बजाय उन्हें दफनाने का फैसला किया, जो उनके पारिवारिक कब्रिस्तान में हुआ। हालांकि इस दौरान हिंदू धर्म की कई रीतियों को भी निभाया गया।
नरगिस की आखिरी ख्वाहिश थी कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें उनकी मां के बगल में दफनाया जाए। सुनील दत्त ने इस इच्छा का सम्मान करते हुए उनका दफनाने का निर्णय लिया। नरगिस के अंतिम संस्कार के दौरान कई पुजारी आए थे और कई हिंदू धार्मिक रीतियां अपनाई गईं। हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध किया था, यह कहते हुए कि चूंकि नरगिस हिंदू धर्म अपनाकर शादी कर चुकी थीं, इसलिए उनका दाह संस्कार किया जाना चाहिए था। लेकिन सुनील दत्त ने कहा कि वे अपनी पत्नी की इच्छा का पालन करेंगे और उसी के अनुसार कदम उठाएंगे।
नरगिस के निधन के बाद, उनके बेटे संजय दत्त की फिल्म ‘रॉकी’ के प्रीमियर में एक सीट खासतौर पर नरगिस के लिए खाली रखी गई थी। प्रिया दत्त ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब उनकी मां का शव घर लाया गया, तो मीडिया बाहर मौजूद थी। एक पत्रकार ने पूछा कि वे कैसा महसूस कर रही हैं, तब सुनील दत्त ने उन्हें और उनके भाई को एक कमरे में बुलाकर कहा कि वे अगर चाहें तो अपने दर्द को साझा कर सकते हैं, लेकिन बाहर धैर्य बनाए रखें।