महेश भट्ट, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज डायरेक्टर, निर्माता और राइटर, भले ही अब फिल्मों में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन वे अपने विचारों और स्पष्ट बयानों के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं। महेश भट्ट सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। हाल ही में, देश में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए भारतीयों को लेकर गम का माहौल है और हिंदू-मुसलमान के बीच बढ़ती नफरत को लेकर भी चर्चा हो रही है। इस बीच, महेश भट्ट ने एक ऐसा विचार साझा किया जो यह सिद्ध करता है कि नफरत से कुछ हासिल नहीं होता।
महेश भट्ट ने अपनी मां शिरीन मोहम्मद अली का एक किस्सा साझा किया, जो उनके लिए जीवनभर एक महत्वपूर्ण सीख रहा। उन्होंने बताया कि उनकी मां बचपन में उन्हें कहती थीं, “तू एक नागर ब्राह्मण का बेटा है, भार्गव तेरा गोत्र है और जब भी तुझे डर लगे, तो ‘या अली मदद कर’ बोल दिया कर।” महेश भट्ट ने बताया कि उन दिनों तहजीब और प्यार का माहौल था, लेकिन अब समय बदल चुका है।
महेश भट्ट के पिता का नाम नानाभाई भट्ट था और उनके भाई-बहनों में मुकेश भट्ट, रोबिन भट्ट और सूरी शीला हैं। उनकी बेटी आलिया भट्ट और दामाद रणबीर कपूर हैं।
महेश भट्ट की फिल्में
76 वर्षीय महेश भट्ट हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के एक प्रतिष्ठित डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अर्थ, सारांश, नाम, आशिकी, साथी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, हम हैं राही प्यार के, नाजायज, क्रिमिनल, चाहत, जख्म, ये है मुंबई मेरी जान जैसी बेहतरीन फिल्में डायरेक्ट की हैं। इसके अलावा, उन्होंने अर्थ और सारांश की कहानी भी खुद लिखी।
प्रोड्यूसर के तौर पर, महेश भट्ट ने कलयुग, गैंगस्टर, द किलर, वो लम्हें, आवारापन, जन्नत, राज- द मिस्ट्री कंटीन्यूअस, तुम मिले, मर्डर, मर्डर 2, ब्लड मनी, मर्डर 3, आशिकी 3 और हमारी अधूरी कहानी जैसी फिल्मों का निर्माण किया है।
फिल्म जख्म में महेश भट्ट ने अपनी मां की कहानी को दर्शाया था, जिसमें उनकी बेटी पूजा भट्ट ने मां का किरदार निभाया था। यह फिल्म 1998 में रिलीज हुई थी और बॉक्स-ऑफिस पर सफल रही।