सिंगर और म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने बाद में अपनी मां के साथ इस्लाम कबूल कर लिया। पहले उनका नाम आरएस दिलीप कुमार था, जिसे बाद में बदलकर अल्लाह रक्खा (एआर) रहमान कर लिया गया। जब उन्होंने धर्म बदला, तब वह 23 साल के थे। हाल ही में डायरेक्टर-सिनेमेटोग्राफर राजीव मेनन ने इस पर बात करते हुए बताया कि गुलबर्गा के फकीर रहमान के घर आए थे और उनके परिवार को इस्लाम अपनाने में मदद की थी।
राजीव मेनन और एआर रहमान की दोस्ती काफी पुरानी है, जो फिल्म रोजा से भी पहले विज्ञापन प्रोजेक्ट्स के दौरान शुरू हुई थी। हाल ही में O2 इंडिया को दिए इंटरव्यू में राजीव मेनन ने बताया कि कैसे दिलीप कुमार से एआर रहमान बनने की यात्रा शुरू हुई।
गुलबर्गा के फकीरों की भूमिका
राजीव मेनन के अनुसार, गुलबर्गा के फकीर खासतौर पर रहमान के परिवार की इस्लाम अपनाने में मदद करने के लिए उनके घर आए थे। उस वक्त रहमान और उनका परिवार हिंदी नहीं जानते थे, इसलिए राजीव ने ट्रांसलेटर की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “मैंने उनके परिवार के आस्था की ओर झुकाव को करीब से देखा। रहमान परिवार के भीतर ही काफी दबाव झेल रहे थे, खासकर अपनी बहनों की शादी के बाद।”
पिता हिंदू, मां मुस्लिम—फिर बदला नाम
रहमान के पिता हिंदू थे, जबकि उनकी मां मुस्लिम थीं, लेकिन परिवार हिंदू रीति-रिवाजों को मानता था। उनके पिता की मृत्यु के बाद और फिर 1984 में बहन के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान परिवार ने इस्लाम अपना लिया। खुद एआर रहमान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह हमेशा से अपना नाम बदलना चाहते थे, क्योंकि उन्हें अपने पुराने नाम से कोई जुड़ाव महसूस नहीं होता था।
“मेरा नाम मेरी छवि से मेल नहीं खाता था”
रहमान ने एक बार डॉन को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मैं महान एक्टर दिलीप कुमार का कोई अपमान नहीं कर रहा, लेकिन मेरा नाम मेरी खुद की छवि से मेल नहीं खाता था।”