बुधवार, अप्रैल 30, 2025

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“आशुतोष राणा ने प्रेमानंद महाराज से मिलकर सुनाया शिव तांडव स्त्रोत का हिंदी भावानुवाद, वीडियो देख फैंस बोले- अद्भुत”

बॉलीवुड अभिनेता आशुतोष राणा हाल ही में प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे, जहां उन्होंने शिव तांडव का हिंदी भावानुवाद सुनाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया। इस मुलाकात के दौरान राणा ने महाराज से आशीर्वाद लिया और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। राणा ने प्रेमानंद महाराज से कहा, “आपकी दृष्टि पड़ने से ही मुझे लगता है कि मैं सेनेटाइज हो गया हूं।”

बातों का सिलसिला खत्म करने से पहले, राणा ने आलोक श्रीवास्तव के भाषानुवाद में प्रस्तुत शिव तांडव भी सुनाया। उन्होंने बताया कि रावण, जो परम ज्ञानी थे, ने शिव तांडव को सरल शब्दों में इसलिए लिखा, ताकि यह आम लोगों तक पहुंच सके। महाराज के आग्रह पर राणा ने सरल शिव तांडव का पाठ किया, जिसमें उन्होंने गाया, “जटाओं से है जिनके जलप्रवाह माते गंग का, गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का।” इसके बाद राणा ने शिव की भोलेपन की व्याख्या की और कहा कि शिव इतने भोले हैं कि जिनसे उन्होंने सिद्धि प्राप्त की, उन्हीं को प्रसिद्धि भी दी।

राणा की अभिव्यक्ति से संत महाराज बहुत आह्लादित हुए और उनकी प्रशंसा की। इस दौरान महाराज के शिष्यों ने राणा को श्री जी की प्रसादी चुनरी पहनाई। राणा ने संत प्रेमानंद महाराज को नर्मदेश्वर महादेव, श्री जी के श्रृंगार के लिए लाल चंदन और कन्नौज का इत्र भेंट किया।

करीब 10 मिनट तक आश्रम में रुकने के बाद, राणा ने अपनी पत्नी रेणुका शहाणे और छोटे बेटे का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी और बेटा रोज आपके प्रवचन सुनते हैं और आपकी लंबी उम्र की कामना करते हैं। हालांकि, मुझे तो आप बिल्कुल स्वस्थ और जीवित लग रहे हैं।” इस पर प्रेमानंद महाराज हंसते हुए बोले, “हमारी रोज डायलिसिस होती है, लेकिन अगर मन स्वस्थ है, तो शरीर का अस्वस्थ होना कोई फर्क नहीं डालता।” राणा ने इसका जवाब देते हुए कहा, “महाराज, हमें तो आप शरीर, मन और आत्मा सभी रूपों में स्वस्थ लगते हैं।”

प्रेमानंद महाराज के दर्शन के दौरान, आशुतोष राणा ने अपने गुरु दद्दा जी महाराज को भी याद किया और कहा, “मैं 1984 में दद्दा जी महाराज की शरण में आया था और 2020 में उनके साथ आखिरी सांस तक रहा। यह गुरु की कृपा है कि आज मुझे आपके दर्शन का अवसर मिला।”

इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा, “भक्ति पथ पर चलना बहुत कठिन है, जब हम अपनी प्रतिष्ठा, धन और भोग वासनाओं को छोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।” राणा ने अंत में कहा, “महाराज, बस आपकी कृपा हम पर बनी रहे।”

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